इंसान को चार पैसे की ही जरूरत क्यों है पांच या 10 पैसे की जरूरत क्यों नहीं

अक्सर सुनने में आता है कि आज चार पैसे होते तो
कोई ऐसा न बोलता | आदमी चार पैसे कमाने के लिएसारा दिन मेहनत करता है | या बेटा कुछ काम करेगातो चार पैसे घर आएंगे | आदि ऐसी अनेक कहावतें हैंजो अक्सर सुनने में आती हैं | आखिर इंसान को क्योंचाहिए ये चार पैसे ? अगर तीन पैसे हों तो क्या कमी रह जाएगी? चार पैसे ही क्यों ? तीन व पांच क्यों नहीं? तीन पैसों मैं क्या कमी रह जाएगी या पांच पैसों में क्या बढ़ जाएगा? या फिर पैसों की ही बात है तो दस या बीस पैसे क्यों नहीं?
आइए पहले हम इन चार पैसों की महिमा को समझते
हैं कि क्यों जरुरी हैं चार पैसे और क्या है इस कहावत
का अर्थ :-
• पहला पैसा कुँए में डालना है |
●दूसरे पैसे से पिछला कर्ज चुकाना है |
• तीसरे पैसे से आगे कर्ज देना है | और
●चौथे पैसे को आगे के लिए जमा करना है |
1. कुँए में डालना इसका अर्थ है अपना व
अपने परिवार का भरण-पोषण करना, पेट
रूपी कुँए का वर्णन है यहाँ पर |
2. पिछले कर्ज उतारना - अपने माता-पिता
की सेवा के लिए | उनके द्वारा किए गए
हमारे पालन-पोषण रूपी कार्यों में जो
समय, मेहनत आदि लगा उस कर्ज को
उतारना |
3. आगे का कर्ज - संतान को पढ़ा-लिखा कर
इस काबिल बनाने के लिए कि आगे जब
आप वृद्धावस्था में हों तो संतान आपकी
भली प्रकार देख रेख कर सके|
4. जमा करने के लिए - इस चौथे पैसे का
अर्थ है कि आप कोई शुभ कार्य जैसे- निर्धन
कन्या का विवाह, दान, संत सेवा, असहायों
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं।
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत1. कुँए में डालना इसका अर्थ है अपना व
अपने परिवार का भरण-पोषण करना, पेट
रूपी कुँए का वर्णन है यहाँ पर |
2. पिछले कर्ज उतारना - अपने माता-पिता
की सेवा के लिए | उनके द्वारा किए गए
हमारे पालन-पोषण रूपी कार्यों में जो
समय, मेहनत आदि लगा उस कर्ज को
उतारना |
3. आगे का कर्ज - संतान को पढ़ा-लिखा कर
इस काबिल बनाने के लिए कि आगे जब
आप वृद्धावस्था में हों तो संतान आपकी
भली प्रकार देख रेख कर सके|
4. जमा करने के लिए - इस चौथे पैसे का
अर्थ है कि आप कोई शुभ कार्य जैसे- निर्धन
कन्या का विवाह, दान, संत सेवा, असहायों
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं।
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत

1. कुँए में डालना इसका अर्थ है अपना व
अपने परिवार का भरण-पोषण करना, पेट
रूपी कुँए का वर्णन है यहाँ पर |
2. पिछले कर्ज उतारना - अपने माता-पिता
की सेवा के लिए | उनके द्वारा किए गए
हमारे पालन-पोषण रूपी कार्यों में जो
समय, मेहनत आदि लगा उस कर्ज को
उतारना |
3. आगे का कर्ज - संतान को पढ़ा-लिखा कर
इस काबिल बनाने के लिए कि आगे जब
आप वृद्धावस्था में हों तो संतान आपकी
भली प्रकार देख रेख कर सके|
4. जमा करने के लिए - इस चौथे पैसे का
अर्थ है कि आप कोई शुभ कार्य जैसे- निर्धन
कन्या का विवाह, दान, संत सेवा, असहायों
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं।
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत
1. कुँए में डालना इसका अर्थ है अपना व
अपने परिवार का भरण-पोषण करना, पेट
रूपी कुँए का वर्णन है यहाँ पर |
2. पिछले कर्ज उतारना - अपने माता-पिता
की सेवा के लिए | उनके द्वारा किए गए
हमारे पालन-पोषण रूपी कार्यों में जो
समय, मेहनत आदि लगा उस कर्ज को
उतारना |
3. आगे का कर्ज - संतान को पढ़ा-लिखा कर
इस काबिल बनाने के लिए कि आगे जब
आप वृद्धावस्था में हों तो संतान आपकी
भली प्रकार देख रेख कर सके|
4. जमा करने के लिए - इस चौथे पैसे का
अर्थ है कि आप कोई शुभ कार्य जैसे- निर्धन
कन्या का विवाह, दान, संत सेवा, असहायों
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं।
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत
1. कुँए में डालना इसका अर्थ है अपना व
अपने परिवार का भरण-पोषण करना, पेट
रूपी कुँए का वर्णन है यहाँ पर |
2. पिछले कर्ज उतारना - अपने माता-पिता
की सेवा के लिए | उनके द्वारा किए गए
हमारे पालन-पोषण रूपी कार्यों में जो
समय, मेहनत आदि लगा उस कर्ज को
उतारना |
3. आगे का कर्ज - संतान को पढ़ा-लिखा कर
इस काबिल बनाने के लिए कि आगे जब
आप वृद्धावस्था में हों तो संतान आपकी
भली प्रकार देख रेख कर सके|
4. जमा करने के लिए - इस चौथे पैसे का
अर्थ है कि आप कोई शुभ कार्य जैसे- निर्धन
कन्या का विवाह, दान, संत सेवा, असहायों
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं।
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत
की मदद आदि कर सकें | क्योंकि हमारे द्वारा
किए गए शुभ कार्यों का फल हमें जीवन के
बाद मिलने वाला है और ये शुभ कर्म ही
हमारे आगे की यात्रा का मार्ग दर्शन करते हैं |
अतः इन सब कार्यों के लिए हमें चार पैसों की जरुरत
पड़ती है | दस या बीस पैसों की नहीं | लेकिन अगर
तीन पैसे रह गए तो हमारे कार्य पूरे नहीं होंगे और
पांचवें पैसे की कहीं जरुरत ही नहीं रह जाती है | इन
चार पैसों में ही जिंदगी के सभी कार्य सम्पूर्ण हो जाते
हैं | तो यही है इन चार पैसों की कहावत का अर्थ

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