टूटने से बचा रतन टाटा का प्लेन अंटार्कटिक के ऊपर अचानक प्लेन का इंजन हुआ बंद। फिर क्या हुआ ?

मुंबई. रतन टाटा ने एक खौफनाक घटना का खुलासा किया है। देश के बड़े औद्योगिक घरानों में शुमार और सादगी के लिए मशहूर टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा का एक प्रमोशनल क्लिप 27 सितंबर को ऑन एयर हो रहा है। इस क्लिप में रतन टाटा ने बताया कि कैसे उनका प्लेन टूटने से बचा और कैसे वे वहां से सुरक्षित निकले। उनके साथ तीन और यात्री इस प्लेन में थे।

टाटा ने कहा कि अचानक इंजन बंद हो गया

रतन टाटा ने कहा कि जब वे तीन दोस्तों के साथ प्लेन में सफर पर थे उसी समय प्लेन का इंजन बंद हो गया। नेशनल जियोग्राफिक के मेगा आइकन्स सीजन दो के एपिसोड के प्रमोशनल क्लिप में रतन टाटा की यह घटना दिखेगी। यह क्लिप 27 सितंबर को ऑन एयर होगी। इसमें रतन टाटा ने बताया कि वे उस समय 17 साल की उम्र के थे, जो पायलेट के लाइसेंस के लिए जरूरी उम्र थी।

प्लेन के उड़ने के बाद जल्द ही इंजन खराब हो गया

रतन टाटा ने तीन दोस्तों को इकट्ठा किया जो उनके साथ उड़ान भरने के लिए तैयार थे। लेकिन जल्द ही प्लेन का इंजन खराब हो गया। रतन टाटा ने कहा कि पहले प्लेन बहुत तेजी से हिला और इंजन बंद हो गया। टाटा ने कहा कि वे इंजन के बिना थे और उन्हें इस बात पर ध्यान देना था कि वे नीचे कैसे आएंगे। उन्होंने बताया कि इस घटना से ऐसी दहशत फैल गई थी कि किसी भी दोस्त ने भी प्लेन से नीचे आने तक एक शब्द नहीं कहा।

मुश्किल से बाहर निकले टाटा

मुश्किल से बाहर निकलकर टाटा ने आगे कहा कि एक हल्के प्लेन में इंजन खत्म होना बड़ी बात नहीं है। इससे प्लेन क्रैश होने से बच भी सकता है। टाटा ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी ऊंचाई पर हैं। जहां आप प्लेन को उतारना चाहते हैं वह जमीन आपने पहले से देखी है या बाद में देखनी है और उसके लिए पर्याप्त समय भी है क्या? उस समय जब प्लेन क्रैश होने वाला था, रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने अपनी हिम्मत बनाए रखी। उन्होंने हंसते हुए अपनी बात खत्म की और कहा कि आप हंस नहीं सकते कि इंजन बंद हो गया है।

आर्किटेक्ट के दफ्तर में काम करते थे टाटा

रतन टाटा ने बताया कि शुरुआती दिनों के दौरान वे अमेरिका के लॉस एंजलिस में एक आर्किटेक्ट के दफ्तर में काम करते थे। लेकिन उन्हें भारत वापस आना पड़ा। क्योंकि उनकी दादी बीमार थीं और वे 4-5 साल तक बीमार रहीं। उनके करीब रहने के लिए टाटा वापस नहीं गए और टाटा मोटर्स (तब का टेलको) की शॉप प्लोर पर काम किया। टाटा समूह के चेयरमैन जेआरडी टाटा ने रतन टाटा को कहा कि वे केवल बैठ नहीं सकते। उन्हें काम में शामिल होना होगा।

रतन टाटा को लगा कि वहां रहना समय की बर्बादी है क्योंकि कोई भी चीज अच्छी तरह प्लान नहीं की गई थी। रतन टाटा ने अपना खुद का ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया। टाटा ने कहा कि ये उनके सबसे मूल्यवान छह महीने थे। लंबे समय बाद वे टेलको के चेयरमैन बने।

टाटा और शापुर पालन जी के बीच विवाद


बता दें कि इस समय टाटा समूह और शापुर पालनजी ग्रुप के बीच अदालती लड़ाई चल रही है। शापुर पालन जी ने टाटा समूह से निकलने की योजना बना ली है। इससे टाटा ग्रुप शापुर पालन जी की होल्डिंग खरीद सकता है। टाटा संस और शापुर जी पालन जी की 70 साल की कारोबारी दोस्ती अब टूटने के कगार पर है।

कैसे शापुर पालन जी को मिली टाटा ग्रुप में हिस्सेदारी

कहा जाता है कि 1960 से 1970 के बीच जेआरडी टाटा के परिवार ने अपनी कुछ हिस्सेदारी शापुरजी पालन जी को बेच दी। इसी तरह 1920 में टाटा स्टील और टाटा हाइड्रो कर्ज के संकट से जूझ रहे थे। इससे निपटने के लिए टाटा संस ने पारसी कारोबारी फ्रामरोज दिनशॉं से संपर्क किया। पेशे से वकील औऱ् बड़े जमींदार दिनशां ने टाटा ग्रुप को 2 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। इसके एवज में ही शापुर पालन जी को 12.5 प्रतिशत हिस्सेदारी मिली थी।

दिनशां के परिवार ने बेची शापुर पालन जी को हिस्सेदारी

दिनशां की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने यह हिस्सेदारी 1936 में शापुर पालन जी को बेच दी। इस तरह से शापुर पालन जी की एंट्री टाटा ग्रुप में हुई। जेआरडी टाटा के परिवार ने 1970 में जो हिस्सेदारी बेची थी, उसे मिलाकर यह हिस्सेदारी 12.5 से बढ़कर 17 प्रतिशत हो गई। इसके बाद 1996 में टाटा संस ने राइट्स इश्यू जारी किया जिसमें शापुर पालन जी की हिस्सेदारी बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई।

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