क्या है भागमती की कहानी और सच्चाई, जिसे योगी ने हैदराबाद में फिर छेड़ा
दो साल बाद एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री (UP CM) योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर (Hyderabad or Bhagyanagar) किए जाने की हुंकार भरी. चुनावी रैली से उठा मुद्दा सोशल मीडिया (Social Media) पर मज़ाकिया चर्चा में दिखा, तो इतिहास को लेकर भी बहस छिड़ी.
इतिहास और गल्प में कभी कभी अंतर करना बहुत महीन हो जाता है. उदाहरण के तौर पर सलीम और अनारकली (Anarkali Legend) की कहानी. इतिहासकार मानते हैं कि यह कोरी कल्पना है लेकिन कुछ विशेषज्ञ ऐसे भी हैं, जिन्होंने इस कहानी को ऐतिहासिक बताया है. किताबों या फिल्मों में रूपांतरित करने के सिलसिले में यह बात महत्व नहीं रखती, लेकिन जब किसी शहर का नाम बदलने (City Name Change) की बात आए, तब यह विचार ज़रूरी हो जाता है. ताज़ा मुद्दा हैदराबाद से जुड़ा है, जिसका नाम (Hyderabad Name) भागमती की कहानी के आधार पर बदले जाने की चर्चा फिर छिड़ी है.
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनावों के लिए भाजपा की तरफ से स्टार प्रचारक के तौर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब रैली में पहुंचे तो उन्होंने फिर अपना पुराना दांव खेला. योगी ने एक बार फिर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर रखे जाने की न केवल वकालत की, बल्कि वादा तक किया. भाग्यनगर नाम हैदराबाद से जुड़ी एक प्रेमकथा से जुड़ा है, जिसमें प्रमुख किरदार एक नृत्यांगना भागमती थी. आइए इस कहानी और इसके ऐतिहासिक आधारों को जानते हैं.
कौन थी भागमती और क्या है कहानी?
करीब 500 साल पहले हैदराबाद प्रांत में चिचलम गांव में पैदा हुई या इस गांव से ताल्लुक रखने वाली भागमती एक हिंदू नृत्यांगना थी. दक्षिण भारत की पांच सल्तनतों में से एक गोलकोंडा राजवंश में कुली कुतुब शाह (1580-1611) शासक बने, तब उन्होंने हैदराबाद शहर की स्थापना की थी. एक नए शहर की स्थापना के बाद उसे 'भागनगर' नाम दिया जाना भी कुली कुतुब और भागमती की प्रेमकथा का नतीजा बताया जाता है.नृत्य प्रतिभा और भागमती के सौंदर्य से शाह बेहद आकर्षित थे और पहली बार देखने के बाद ही भागमती से प्यार कर बैठे थे. हालांकि शाह के पिता इब्राहीम कुतुब शाह को यह मोहब्बत गवारा नहीं थी, लेकिन दीवानावार इश्क देखकर उनका दिल पिघला था और उन्होंने शहज़ादे कुली कुतुब की शादी भागमती से 1589 में करवा दी थी. कुली कुतुब ने गोलकोंडा सल्तनत में शामिल होने के बाद भागमती के नाम पर भागनगर शहर बसाया, जिसे बाद में हैदराबाद नाम मिला. बाद में हैराबाद नाम इसलिए मिला क्योंकि कुतुब शाह ने अपनी प्रेमिका और पत्नी को 'हैदर महल' की उपाधि दी थी. पिछले कुछ समय से रह रहकर इस नाम को फिर बदलकर भाग्यनगर किए जाने की चर्चा होती है. योगी पहले भी यह चर्चा छेड़ चुके हैं. इस बार उनके भाषण के बाद सोशल मीडिया पर 'हैदराबादी बिरयानी' के लिए हिंदी नाम बताने के मज़ाकिया कटाक्ष शुरू हो गए हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह कहानी इतिहास है भी या सिर्फ कोरी कल्पना है.
क्या कहता है इतिहास?
निज़ाम ट्रस्ट के सांस्कृतिक सलाहकार और इतिहासकार मोहम्मद सफीउल्लाह इस बारे में मीडिया को बता चुके हैं कि भागमती की इस कहानी के समर्थक कोई भी ऐतिहासिक तथ्य प्रस्तुत नहीं कर सके. 16वीं सदी में हैदराबाद के नामकरण पर करीब 100 पेजों में चर्चा करने वाले किताब 'फॉरेवर हैदराबाद' लिखने वाले सफीउल्लाह की बात को ठीक से समझने की ज़रूरत है.
सफीउल्लाह का दावा है कि 16वीं सदी की एक महिला के बारे में जो प्रमाण 19वीं सदी के दस्तावेज़ों से प्रस्तुत किए जाते हैं, वो यकीनन सालों की कल्पना के नतीजे हैं, ऐतिहासिक या वास्तविक नहीं. दूसरी तरफ, जो लोग मानते हैं कि रानी भागमती का वजूद था, वो ये भी मानते हैं कि हैदराबाद का नाम उनके नाम पर नहीं था. और तीसरा पक्ष कला का है, जिसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि भागमती ऐतिहासिक पात्र है या नहीं, उसकी प्रेम कहानी प्रचलित और ड्रामा से भरपूर है, यही काफी है.
मशहूर नाटक 'दिलों का शहज़ादा' के लेखक मोहम्मद अली बेग हैदराबाद के नामकरण को लेकर छिड़ी बहस के बारे में कह चुके हैं कि यह पॉलिटिकल एजेंडा है. इससे एक शहर की विरासत या परंपरा पर कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. यह भी गौरतलब है कि इतिहासकार सैयद मोहिउद्दीन कादरी ज़ोर ने भागमती का 'अफ़साना' लिखकर इस विषय में काफी रोचक ढंग से चर्चा की थी. इस अफ़साने में हैदराबाद के नाम, चारमीनार की जगह चुनने के पीछे की किंवदंतियों आदि मुद्दों को उठाने के साथ ही ज़ोर ने कहा था कि 'इतिहास को पढ़ना बहुत बोरिंग हो जाता है, अगर आप उसमें कोई काल्पनिक कहानी या रोमांस वगैरह का तड़का नहीं लगाते.' तो इन तमाम बातों के बाद यह बहस रोचक भी है और गंभीर कि क्या ऐसे पात्र के नाम पर किसी शहर का नाम बदला जा सकता है, जिसके अस्तित्व के ही पुख्ता प्रमाण न हों!
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